योग और ध्यान में अंतर
योग और ध्यान को ज्यादातर लोग एक जैसा ही समझते है लेकिन योग और ध्यान हमारी दो अलग-अलग मानसिक और शारीरिक स्थिति को दर्शाता है।
ध्यान क्या है ?
ध्यान आपकी चेतना और मन को वश में करने का सबसे बेहतर तरीका है। ध्यान मनुष्य को करुणामयी, प्रेमशील, धैर्यवान, क्षमाशील और उदार बनाता है।
योग क्या है ?
योग एक ऐसा जरिया है जिससे आपको मानसिक और शारीरिक शांति दोनों ही मिलती है। योग व्यक्ति को मानसिक, अध्यात्मिक, भौतिक, आत्मिक और शारीरिक तौर पर स्वस्थ बनाता है।
योग और ध्यान है अलग-अलग:
योग और ध्यान व्यक्ति के दो अलग अलग चरण है। जो एक दुसरे से बिलकुल विपरीत है।
ध्यान केवल हमारे शरीर और मन को ही नहीं बल्कि हमारी आत्मा को भी लाभ
पहुँचाता है। ध्यान से हमारे शरीर और आत्मा में नयी उर्जा मिलती है। ध्यान योग का ही एक हिस्सा है।
पहुँचाता है। ध्यान से हमारे शरीर और आत्मा में नयी उर्जा मिलती है। ध्यान योग का ही एक हिस्सा है।
तनाव से भरी हमारी जिंदगी में ध्यान का बहुत ज्यादा महत्व है। ध्यान करने से व्यक्ति तनावमुक्त रहता है।
- साफ़ और स्वच्छ स्थान चुने।
- मन शांत रखे।
- सीधा बैठे।
- खाली पेट रहे।
- सांसो गहरी और लम्बी होनी चाहिए।
- आँखों को धीरे से खोले और बंद करे।
- ध्यान लगाने से पहले हल्का वार्मअप जरुर करे।
- हमेशा मुस्कुराते रहे।
योग एक शारीरक क्रिया है। गहरी सांस लेना और लम्बे समय तक मन को शांत रख कर एकाग्रचित्त होकर बैठना योग का सबसे बड़ा नियम है।
योग करने के लिए आपका बहुत ज्यादा भूखा रहना और बहुत ज्यादा खाना खाना, न बहुत ज्यादा सोने से और न कम सोने से योग सफल नहीं होता है, अगर योग सफल होता है तो केवल आपके खुश रहने से, रोज के कार्य को ठीक से करने से, अपनी आत्मा को परमात्मा के ध्यान में लगाने से, अपने मन को अपने वश में करने से ही योग सफल होता है।
योग के 8 चरण होते है।
यम,नियम,आसन,प्राणायाम,प्रत्याहार,धारणा,ध्यान,समाधी
योग और ध्यान करने के फायदे:
- ध्यान करने से व्यक्ति एकाग्रता से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ सकता है। ध्यान हमारे लक्ष्य को और ज्यादा मजबूत बनाती है। ये हमें मानसिक शांति देती है।
- योग आपको मानसिक शांति देने के साथ-साथ शारीरिक तौर पर भी स्वस्थ रखता है।
- योग करने से आपकी शारीरक बिमारिया ठीक हो सकती है। ध्यान योग का ही एक हिस्सा है इसीलिए ध्यान आपकी मानसिक परेशानियों को दूर करने में भी सक्षम है।
- योग और ध्यान आपके जीवन के संघर्ष को छोटा कर देते है। इससे आपका मन प्रसन्न रहता है। आपको नींद आती है। मन से क्लेश, द्वेष, घृणा, जलन और हीनभावना जैसी भावना ख़त्म हो जाती है। व्यक्ति के लिए सुख और दुःख एक सामान ही हो जाते है।
- व्यक्ति रचनात्मक होने लगता है।
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